Natasha

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अनुराग अंशुल के घर के चक्कर काटने लगा और स्कूल में भी वे दोनों थोड़ा बहुत मिलने लगे। दोनों का एक दूसरे को देखे बिना मन ही नहीं लगता था। 

एक बार अनुराग को बुखार हो गया और वह चार-पांच दिन स्कूल में नहीं आया अंशुल इस बीच बेचैन हो गई क्योंकि उस वक्त मोबाइल फोन भी नहीं होते थे। उसका चंचल स्वभाव और अनुराग के प्रति चाहत ने अनुराग से मिलने जाने के लिए उसे मज़बूर कर दिया। वो किताब लेने के बहाने अपनी फ्रेंड को साथ लेकर उसके घर चली गई। 

अनुराग उसे अचानक घर आया देखकर हैरान हो जाता है लेकिन उसके दिल को उसे देखकर एक सुकून सा मिल जाता है। अंशुल की बेचैनी भी उससे मिलकर कम हो जाती है। “इस उम्र में भावनाओं का सैलाब सा उठता है जिसे रोक पाना थोड़ा मुश्किल काम है।”

STD से कॉल करना, पार्क में, स्कूल में मिलना, पता ही नहीं चला कब दो साल बीत गए। अनुराग की 12th पूरी हो गई और अंशुल भी अब 11th में आ गई।  

अनुराग law करने के लिए देहरादून चला गया। यहाँ अंशुल का मन स्कूल में नहीं लगता था तो उसने स्कूल को छोड़कर, पॉलिटेक्निक कॉलेज में एडमिशन ले लिया। 

कुछ समय तक उनके मन में खालीपन रहा, मन कहीं लगता ही नहीं था, एक दूसरे की याद भी आई। फोन पर थोड़ी बहुत बात भी हो जाती थी। लेकिन अब मिलना पॉसिबल नहीं था।  

फिर धीरे-धीरे दोनों अपनी अपनी स्टडी में व्यस्त हो गए। उनके अपने अपने फ्रेंड सर्किल बन गए।  

समय के साथ-साथ वो समझदार हो गए। अब उनको पता चल चुका था कि वो एक आकर्षक था जो उम्र के उस पड़ाव पर हर लड़का लड़की को अक्सर हो ही जाता है।  

अनुराग की जिंदगी में आज कोई और लड़की है और अंशुल की शादी हो चुकी है।  

इस तरह एक प्यारी सी लव स्टोरी में एक अच्छा सा मोड़ आता है लेकिन वो अहसास आज भी दोनों को गुदगुदाता है। 

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